क्रिया Hindi Grammar Bihar Board / Hindi Grammar Bihar Board क्रिया / Hindi Grammar क्रिया

क्रिया


क्रिया

जिस शब्द से काम करना या होना प्रकट हो उसे क्रिया कहते हैं ; जैसे –  खाना-पीना , उठना-बैठना , हंसना , खेलना आदि |

क्रिया को तीन आधार पर बांटा गया है –

1. कर्म के आधार पर

2. व्युत्पति के आधार पर

3. क्रिया के अन्य रूप

Q. कर्म के आधार पर क्रिया के कितने भेद हैं ?

उत्तर :- कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद हैं-

क) सकर्मक क्रिया – सकर्मक क्रिया का अर्थ है – ‘कर्म के साथ रहने वाली क्रिया’ , जिस क्रिया को करने या होने में कर्म की आवश्यकता पड़ती है , उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं ; जैसे – मैं पुस्तक पढ़ता हूं , मोहन खाना खाता है , सीता पत्र लिखती है आदि |

ख) अकर्मक क्रिया – अकर्मक क्रिया का अर्थ है – ‘कर्म के बिना होने वाली क्रिया’ , जिस क्रिया के करने या होने के लिए कर्म आवश्यक नहीं होता है उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं ; जैसे – मोर नाचता है , चिड़िया उड़ती है , राधा गाती है आदि |

Q. व्युत्पत्ति के आधार पर क्रिया के कितने भेद हैं ?

उत्तर :- व्युत्पत्ति के आधार पर क्रिया के दो भेद हैं –

क) मूल क्रिया – जो क्रिया मूल धातु से बनती है, उसे मूल क्रिया कहते है । जैसे – लिखना, रोना, हंसना आदि |

ख) यौगिक क्रिया – जो क्रिया कई तत्वों के संयोग से बनती है , उसे यौगिक क्रिया कहते हैं। जैसे – रोना- रूलाना , मरना- मरवाना , सोना- सुलाना आदि|

यौगिक क्रिया के चार भेद है – 

१) प्रेरणार्थक क्रिया – कर्त्ता स्वयं क्रिया नहीं करके किसी क्रिया को करने के लिए प्रेरित करता है उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं ; जैसे- पढ़ना – पढ़वाना , लिखना – लिखवाना आदि |

२) नामधातुज क्रिया – संज्ञा के मूल रूप को नामधातुज क्रिया कहते हैं |

३) संयुक्त क्रिया – दो या दो से अधिक क्रियाओं के योग से बनने वाली क्रिया को संयुक्त क्रिया कहते हैं ; जैसे – रो पड़ना , मार डालना आदि |

४) अनुकरणात्मक क्रिया – अनुकरण वाचक शब्द से बनने वाली क्रिया को अनुकरणात्मक क्रिया कहते हैं ; जैसे -खटखट- खटखटाना ,  थपथप- थपथपाना |

Q. क्रिया के अन्य रूप ……

उत्तर :- क) सहायक क्रिया – संयुक्त क्रिया में एक प्रधान क्रिया रहती  है और दूसरी क्रिया केवल उसकी सहायता के लिए आते हैं उसे सहायक क्रिया कहते हैं ; जैसे – उसने बाघ मार डाला , जेब में पैसे डालो |

ख) पूर्वकालिक क्रिया – जब कोई कर्ता एक क्रिया समाप्त कर उसी क्षण दूसरी क्रिया आरंभ करता है तो पहले क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं ; जैसे – वह खाकर बाजार गया , वह नहाकर बाजार गया , आदि|

ग) क्रियार्थक क्रिया – यह क्रिया पूर्वकालिक क्रिया के ठीक विपरीत है। अतः इसे उत्तर कालिक क्रिया कहते हैं। क्रिया के इस रूप से होने वाले भविष्य में होने वाले व्यापार का बोध होता है किंतु इसका प्रयोग मुख्य क्रिया के पहले होता है। इसे क्रियार्थक क्रिया कहते हैं । जैसे – वह पढ़ने विद्यालय गया। वह खेलने मैदान गया ।

घ) द्विकर्मक क्रिया – कभी-कभी किसी क्रिया के दो कर्म रहते हैं ऐसी क्रिया को द्विकर्मक क्रिया कहते हैं ; जैसे – बाप बेटे को बिस्कुट खिलाता है , बादक सीता को सितार सिखाता है ।

च) विधि क्रिया – क्रिया के जिस रूप में आशा, अनुमति, प्रार्थना, अनुरोध आदि का बोध हो उसे विधि क्रिया कहते हैं ; जैसे – वहां मत जाओ। वहां बैठो ।

 

© achiever bseb

an educational website

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

error: Content is protected !!