अधिनायक |
अधिनायक कवि के बारे में
रघुवीर सहाय बीसवीं शती के उत्तरार्द्ध के प्रमुख कवि रहे हैं। आपने पत्रकारिता के क्रम में सामाजिक और राजनैतिक यथार्थ का जो भयावह अनुभव हासिल किया, उसे अपनी रचनात्मकता में व्यंग्य तथा विडंबनाबोध के साथ प्रकट किया।
अधिनायक पाठ का सारांश
प्रस्तुत कविता व्यंग्य कविता है जो हास्य के हल्केपन से परे एक गहन विडंबनाबोध की ओर ले जाती है। इसमें आजादी के बाद के सत्ता वर्ग के प्रति रोषपूर्ण तिक्त कटाक्ष है। राष्ट्रगान में निहित ‘अधिनायक’ शब्द को लेकर यह व्यंग्यात्मक कटाक्ष है। आजादी हासिल होने के इतने वर्षों के बाद भी आम आदमी की हालत में कोई बदलाव नहीं आया। कविता में हरचरना नामक बालक को प्रतिनिधि चरित्र के रूप में रखते हुए कवि ने भारतीय लोकतंत्र में शोषण और उत्पीड़न के विभिन्न चेहरों पर कटाक्ष किया है। हरचरना बदहाल और गरीब लड़का है जो अपनी आर्थिक-सामाजिक हालात के विपरीत औपचारिकतावश सरकारी स्कूल में पढ़ता है। राष्ट्रीय त्योहार के दिन झंडा फहराए जाने के जलसे में वह ‘फटा सुथन्ना’ पहने वही राष्ट्रगान दुहराता है जिसमें इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी न जाने किस ‘अधिनायक’ का गुणगान किया गया है। अधिनायक आजादी के बाद का सत्ताधारी वर्ग है । वह बदले हुए जनतांत्रिक संविधान से चलती इस व्यवस्था में भी राजसी ठाठ-बाट वाले भड़कीले रोब-दाब मखमली वस्त्र, टमटम, भाले, तुरही, पगड़ी, छत्र, चंबर के वैभव के साथ जलसे में शिरकत करता है। हरचरना अधिनायक के गुण उसके वैभव तथा ताकत के भय से गाता है। उसके डर का कारण वाले अधिनायक का अकूत वैभव तथा देश पर राजनीतिक एकाधिकार है। कविता में निहितार्थ ध्वनि यह है कि मानो इस सत्ताधारी वर्ग की प्रच्छन्न लालसा ही सचमुच अधिनायक अर्थात् तानाशाह बनने की है। कवि ने इस पीड़ित वर्ग की पीड़ा को प्रकट करने के लिए उसकी अपनी परिवेशगत भाषा का ही प्रयोग किया है। हरचरना, फटा सुथन्ना, गुन, बाजा, बेमन आदि आमफहम शब्दों का प्रयोग किया गया है, जो उस वर्ग की भाषा की यथार्थता के साथ उनकी पीड़ा को गहरे व्यंग्यबोध के साथ प्रस्तुत करते हैं। यह आमफहम भाषा ही इस कविता में एक प्रखरता तथा नुकीलापन पैदा कर देती है।
अधिनायक Subjective Question
Q. 1. हरचरना कौन है? उसकी क्या पहचान है ?
उत्तर – हरचरना आजादी के बाद के बदहाल भारतीय आम आदमी का प्रतिनिधि चरित्र है। उसकी पहचान यह है कि वह बदहाल और गरीब लड़का है जो अपनी आर्थिक सामाजिक हालात के विपरीत औपचारिकतावश सरकारी स्कूल में पढ़ता है। राष्ट्रीय त्योहार के दिन झंडा फहराए जाने के जलसे में ‘फटा सुथन्ना’ पहने वही राष्ट्रगान दुहराता है जिसमें इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी न जाने किस ‘अधिनायक’ का गुणगान किया गया है।
Q. 2. हरचरना ‘हरिचरण’ का तद्भव रूप है, कवि ने कविता में ‘हरचरना’ को रखा है। हरिचरण को नहीं क्यों ?या, ‘हरिचरण’ को हरचरना क्यों कहा गया है?
उत्तर – कवि ने यहाँ हरचरना को आजादी के बाद के बदहाल, गरीब तथा पीड़ित आम आदमी के प्रतिनिधि चरित्र के रूप में रखा है। हरिचरण नाम में एक आभिजात्यता की ध्वनि आती है, जबकि आम आदमी के लिए अपनी बदहाली से निपटना प्राथमिक चुनौती हुआ करती है, आभिजात्यता तो दूर की बात है। अतः कविता में विषयवस्तु की मार्मिकता का यथार्थपूर्ण प्रस्फुटन इसी हरचरना पद से ही संभव है, ना कि हरिचरण नाम से।
Q. 3. अधिनायक कौन है? उसकी क्या पहचान है ? या ‘अधिनायक’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर – अधिनायक आजादी के बाद का सत्ताधारी वर्ग है। वह बदले हुए जनतांत्रिक संविधान से चलती इस व्यवस्था में भी राजसी ठाठ-बाट वाले भड़कीले रोब-दाव, मखमली वस्त्र, टमटम भाले, तुरही, पगड़ी, छत्र, चंदर के वैभव के साथ जलसे में शिरकत करता है।
Q. 4. ‘जय-जय कराना’ का क्या अर्थ है?
उत्तर – ‘जय-जय कराना का अर्थ है सत्ताधारी अधिनायक वर्ग द्वारा आम आदमी से राष्ट्रगीत के बहाने अपनी अभ्यर्थना कराना।
Q. 5. ‘डरा हुआ मन बेमन जिसका / बाजा रोज बजाता है’— यहाँ ‘बेमन’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर – यहाँ ‘बेमन’ का अर्थ अनिच्छापूर्ण स्थिति से है।
Q. 6. हरचरना अधिनायक के गुण क्यों गाता है ? उसके डर के क्या कारण हैं ?
उत्तर – हरचरना अधिनायक के गुण उसके वैभव तथा ताकत के भय से गाता है। डर का कारण सामने वाले अधिनायक का अकूत वैभव तथा देश पर राजनीतिक एकाधिकार है।
Q. 7. ‘बाजा बजाना का क्या अर्थ है ?
उत्तर – ‘बाजा बजाना का अर्थ अधिनायक वर्ग का यशोगान करने तथा उसकी मानसिक गुलामी करने से है।
Q. 8. कौन-कौन है वह जन-गण-मन अधिनायक वह महावली कवि यहाँ किसकी पहचान कराना चाहता है|
उत्तर – यहाँ कवि अमीर सत्ताधारी वर्ग की पहचान कराना चाहता है, जो आजादी के अपने सामंती प्रभावों के चलते सत्ता पर काबिज हो जाता है।
Q. 9. ‘कौन-कौन’ में पुनरुक्ति है, कवि ने यह प्रयोग किसलिए किया है?
उत्तर – कवि ने इस पुनरुक्ति का प्रयोग कविता में प्रभावोत्पादकता बढ़ाने के लिए किया है। वह बताना चाहता है कि सत्ताधारी वर्ग के जितने भी अंग-उपांग हैं, वे सब के सब इसी शोषण तंत्र के हिस्से हैं और उनकी पहचान जरूरी है।
Q.10. भारत के राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन अधिनायक जय हे से इस कविता का बया संबंध है? वर्णन करें।
उत्तर – भारत का राष्ट्रगान रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अंग्रेज वायसराय जॉर्ज पंचम के भारत आगमन पर अभ्यर्थना एवं सम्मान के लिए लिखा था, जिसे बाद में भारतीय संविधान द्वारा भारत के राष्ट्रगान के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया गया था। इस गीत में एक उपनिवेशवादी मानसिकता का प्रभाव दिखाई पड़ता है। मानो हम भारत की आम जनता के बजाय किसी अधिनायक की अभ्यर्थना कर रहे हों। यह कविता राष्ट्रगान के साथ उसकी उपनिवेशवादी मानसिकता तथा उसमें छिपे शोषण, गुलामी और उत्पीड़न को ऐतिहासिक बोध के साथ व्यंजित करती है।
Q. 11. कविता का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें। या, ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता के भावार्थ को स्पष्ट करें।
उत्तर – यह कविता व्यंग्य कविता है जो हास्य के हल्केपन से परे एक गहन विडंबनाबोध की ओर ले जाती है। इसमें आजादी के बाद के सत्ताधारी वर्ग के प्रति रोषपूर्ण तिक्त कटाक्ष है। राष्ट्र गान में निहित ‘अधिनायक’ शब्द को लेकर यह व्यंग्यात्मक कटाक्ष है। आजादी हासिल होने के इतने वर्षों के बाद भी आम आदमी की हालत में कोई बदलाव नहीं आया। कविता में हरचरना नामक बालक को प्रतिनिधि चरित्र के रूप में रखते हुए कवि ने भारतीय लोकतंत्र में शोषण और उत्पीड़न के विभिन्न चेहरों पर कटाक्ष किया है। हरचरना बदहाल और गरीब लड़का है जो अपनी आर्थिक सामाजिक हालात के विपरीत औपचारिकतावश सरकारी स्कूल में पढ़ता है। राष्ट्रीय त्योहार के दिन झंडा फहराए जाने के जलसे में ‘फटा सुधन्ना पहने वही राष्ट्रगान दुहराता है जिसमें इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी न जाने किस अधिनायक’ का गुणगान किया गया है। अधिनायक आजादी के बाद का सत्ताधारी वर्ग है। वह बदले हुए जनतांत्रिक संविधान से चलती इस व्यवस्था में भी राजसी ठाट-बाट वाले भड़कीले रोब-दाब, मखमली वस्त्र, टमटम, भाले, तुरही, पगड़ी, छत्र, चंवर के वैभव के साथ जलसे में शिरकत करता है। हरचरना अधिनायक के गुण उसके वैभव तथा ताकत के भय से गाता है। उसके डर का कारण सामने वाले अधिनायक का अकूत वैभव तथा देश पर राजनीतिक एकाधिकार है। कविता में निहितार्थ ध्वनि यह है कि मानो इस सत्ताधारी वर्ग की प्रच्छन्न ठाउसा ही सचमुच अधिनायक अर्थात् तानाशाह बनने की है।
Q. 12. व्याख्या करें–
पूरब पश्चिम से आते हैं नंगे बूचे नर कंकाल,
सिंहासन पर बैठा, उनके तमगे कौन लगाता है
उत्तर – कवि यहाँ पर आजादी के बाद भारत में सत्ताधारी वर्ग की संवेदनहीनता और शक्तिलिप्सा पर कटाक्ष करता है। वह मानो पूरी सभ्यता और लोकतांत्रिक भारत से प्रश्न करता है कि जबकि देश में पूरब से पश्चिम तक आम आदमी बदहाल है, वह इतना कृशकाय और दीनहीन है कि जीवित ही कंकाल की भांति प्रतीत होता है, तब दिल्ली के सिंहासन पर बैठा यह तथाकथित राष्ट्र का अधिनायक कितना औचित्यपूर्ण है, जो इनके सपनों के भारत पर तमगे की तरह विराजमान है। अर्थात् कवि गरीब और बदहाल आम आदमी के बरक्स सत्ताधारी वर्ग की समृद्धि, रीब और ठसक को व्यर्थ सिद्ध करता है।
Q. 13. ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता का केंद्रीय विषय क्या है? स्पष्ट करें।
उत्तर – प्रस्तुत कविता व्यंग्य कविता है जो हास्य के हल्केपन से परे एक गहन विडंबनाबोध की ओर ले जाती है। इसमें आजादी के बाद के सत्ताधारी वर्ग के प्रति रोषपूर्ण तिक्त कटाक्ष है। राष्ट्रगान में निहित ‘अधिनायक’ शब्द को लेकर यह व्यंग्यात्मक कटाक्ष है। आजादी हासिल होने के इतने वर्षों के बाद भी आम आदमी की हालत में कोई बदलाव नहीं आया। कविता में हरचरना नामक बालक को प्रतिनिधि चरित्र के रूप में रखते हुए कवि ने भारतीय लोकतंत्र में शोषण और उत्पीड़न के विभिन्न चेहरों पर कटाक्ष किया है। हरचरना बदहाल और गरीब लड़का है जो अपनी आर्थिक सामाजिक हालात के विपरीत औपचारिकतावश सरकारी स्कूल में पढ़ता है। राष्ट्रीय त्योहार के दिन झंडा फहराए जाने के जलसे में वह ‘फटा सुधन्ना’ पहने वही राष्ट्रगान दुहराता है जिसमें इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी न जाने किस अधिनायक’ का गुणगान किया गया है। अधिनायक आजादी के बाद का सत्ताधारी वर्ग है। वह बदले हुए जनतांत्रिक संविधान से चलती इस व्यवस्था में भी राजसी ठाठ-बाट वाले भड़कीले रोब-दाब मखमली वस्त्र, टमटम, भाले, तुरही, पगड़ी, छत्र, चंबर के वैभव के साथ जलसे में शिरकत करता है। हरचरना अधिनायक के गुण उसके वैभव तथा ताकत के भय से गाता है। उसके डर का कारण सामने वाले अधिनायक का अकूत वैभव तथा देश पर राजनीतिक एकाधिकार है। कविता में निहितार्थ ध्वनि यह है कि मानो इस सत्ताधारी वर्ग की लालसा ही सचमुच अधिनायक अर्थात तानाशाह बनने की है। कवि ने इस पीड़ित वर्ग की पीड़ा को प्रकट करने के लिए उसकी अपनी परिवेशगत भाषा का ही प्रयोग है। हरचरना, फटा सुथन्ना, गुन, बाजा, बेमन आदि आमफहम शब्दों का प्रयोग किया गया है, जो उस वर्ग की भाषा की यथार्थता के साथ उनकी पीड़ा को गहरे व्यंग्यबोध के साथ प्रस्तुत करते हैं। यह आमफहम भाषा ही इस कविता में एक प्रखरता तथा नुकीलापन पैदा कर देती है।
अधिनायक Objective Question
1. रघुवीर सहाय का जन्म कब हुआ था?
(क) 9 सितंबर, 1939
(ख) 9 अक्टूबर, 1939
(ग) 9 नवंबर, 1939
(घ)-9 दिसंबर, 1939
उतर -9 दिसंबर, 1939
2. रघुवीर सहाय की मृत्यु कब हुई थी?
(क) 30 दिसंबर, 1990
(ख) 30 सितंबर, 1991
(ग) 30 नवंबर, 1990
(घ) 30 अक्टूबर, 1991
उतर -30 दिसंबर, 1990
3. रघुवीर सहाय का जन्म कहाँ हुआ था?
(क) इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
(ख) कानपुर, उत्तर प्रदेश
(ग) झांसी, उत्तर प्रदेश
(घ) लखनऊ, उत्तर प्रदेश
उतर -लखनऊ, उत्तर प्रदेश
4. रघुवीर सहाय को कौन-सा पुरस्कार मिला था?
(क) साहित्य अकादमी पुरस्कार
(ख) भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार
(ग) ज्ञानपीठ पुरस्कार
(घ) पहल सम्मान
उतर -पहल सम्मान
5. रघुवीर सहाय को अपनी किस कृति के लिए पुरस्कार मिला था?
(क) लोग भूल गए हैं
(ख) आत्महत्या के विरुद्ध
(ग) हँसो-हँसो जल्दी हँसो
(घ) सीढ़ियों पर धूप किस
उतर -लोग भूल गए हैं
6. रघुवीर सहाय किस प्रसिद्ध समाचार-साप्ताहिक पत्रिका के संपादक थे?
(क) नवजीवन
ख) दिनमान
(ग) रविवार
(घ) संडे मेल
उतर -दिनमान
7. रघुवीर सहाय का जन्म कब हुआ था?
(क) 9 सितंबर, 1939
(ख) 9 अक्टूबर, 1939
(ग) 9 नवंबर, 1939
(घ)-9 दिसंबर, 1939
उतर -9 दिसंबर, 1939
8. रघुवीर सहाय की मृत्यु कब हुई थी?
(क) 30 दिसंबर, 1990
(ख) 30 सितंबर, 1991
(ग) 30 नवंबर, 1990
(घ) 30 अक्टूबर, 1991
उतर -30 दिसंबर, 1990
9. रघुवीर सहाय का जन्म कहाँ हुआ था?
(क) इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
(ख) कानपुर, उत्तर प्रदेश
(ग) झांसी, उत्तर प्रदेश
(घ) लखनऊ, उत्तर प्रदेश
उतर -लखनऊ, उत्तर प्रदेश
10. रघुवीर सहाय को कौन-सा पुरस्कार मिला था?
(क) साहित्य अकादमी पुरस्कार
(ख) भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार
(ग) ज्ञानपीठ पुरस्कार
(घ) पहल सम्मान
उतर -पहल सम्मान
11. रघुवीर सहाय को अपनी किस कृति के लिए पुरस्कार मिला था?
(क) लोग भूल गए हैं
(ख) आत्महत्या के विरुद्ध
(ग) हँसो-हँसो जल्दी हँसो
(घ) सीढ़ियों पर धूप किस
उतर -लोग भूल गए हैं
12. रघुवीर सहाय किस प्रसिद्ध समाचार-साप्ताहिक पत्रिका के संपादक थे?
(क) नवजीवन
ख) दिनमान
(ग) रविवार
(घ) संडे मेल
उतर -दिनमान