छप्पय |
छप्पय कवि के बारे में
नाभादास भक्तिकाव्य के अन्तर्गत सगुण भक्तिधारा की रामाश्रयी शाखा के कवि माने जाते हैं। उन्होंने छप्पय छंद में अपनी महानतम कृति अष्टछाप की रचना की है। एक सिद्ध कवि न होते हुए भी उनका काव्य भक्ति आंदोलन के समग्र चरित्र को स्पष्ट कर देता है। वे अपने छप्पय में हिन्दी आलोचना को कुछ ऐसे विचार सूत्र दे जाते हैं जो आगे के समय में भी भक्ति आंदोलन और भक्ति काव्य को समझने के लिए आधार बना रहा है। विद्वान माताप्रसाद गुप्त ने कहा है कि उनका भक्तमाल मध्ययुग के वैष्णव आंदोलन की रूपरेखा समझने के लिए सबसे अधिक प्रामाणिक और महत्वपूर्ण सामग्री प्रस्तुत करता है।
छप्पय पाठ का सारांश
यहाँ प्रस्तुत छप्पय में उन्होंने क्रमशः कबीर और सूर का सार्थक मूल्यांकन भक्ति आंदोलन और काव्य के संदर्भ में किया है। कबीर की विशेषताएँ बताते हुए कहा है कि जो भी धर्मपद्धति भक्ति की भावना से विमुख थी उसे कबीर ने अधर्म के रूप में अपने पदों में वर्णित किया। कबीर ने अपने अनुभवों के सत्य को ज्ञान के किसी अन्य स्रोत की अपेक्षा ज्यादा विश्वसनीय मानते हुए अपनी बातें कहीं हैं। भक्ति के अभाव में उन्होंने योग, यज्ञ, व्रत तथा दान को तुच्छ बताया है। अपनी साखियों, सबद तथा रमैनियों में कबीर ने हिन्दू-तुर्क सबके हित की बात पक्षपातरहित होकर कही है। उन्होंने इस संसार की दशा का स्वयं संज्ञान करके बातें कहीं हैं, किसी की मुँह देखी नहीं कही। उन्होंने वर्णाश्रम तथा षट्दर्शन की मर्यादा को उपेक्षित करते हुए अनुभव-सत्य की बातें कहीं हैं। सूर के विषय में वे बताते हैं कि उनके काव्य में उक्ति का चमत्कार तथा वर्ण अनुप्रास की स्थिति अधिक है। कृष्णलीला गायन के रूप में सूर के काव्य की संगीतात्मकता अद्भुत है तथा उसके प्रभाववश कोई भी सहृदय व्यक्ति अपने सिरचालन को रोक नहीं सकता। अर्थात् उनके काव्य का श्रवण करके कवि हृदय या सहृदय जन भावविह्वल हो उठते हैं तथा उनके शरीर नृत्यवत हो उठते हैं। नाभादास के उपर्युक्त दोनों छप्पय के माध्यम से एक तरफ कबीर के रूप में भक्ति के अंदर मौजूद अनुभव-सत्य और सामाजिक दायित्व की चेतना का ज्ञान होता है तो दूसरी तरफ सूर काव्य में जीवन के राग, उल्लास और सौंदर्य का भान मिलता है।
छप्पय Subjective Questions Bihar Board
Q.1. नाभादास ने छप्पय में कबीर की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है? उनकी क्रम से सूची बनाइए। या, कबीर विषयक छप्पय में नाभादास ने कबीर के बारे में क्या कहा है ?
उत्तर – नाभादास ने छप्पय में कबीर की विशेषताएँ बताते हुए कहा है कि–
(क) जो भी धर्मपद्धति भक्ति की भावना से विमुख थी, उसे कबीर ने अधर्म के रूप में। अपने पदों में वर्णित किया।
(ख) भक्ति के अभाव में उन्होंने योग, यज्ञ, व्रत तथा दान को तुच्छ बताया है।
(ग) अपनी साखियों, सबद तथा रमैनियों में कबीर ने हिन्दू-तुर्क सबके हित की बात पक्षपातरहित होकर कही है।
(घ) उन्होंने इस संसार की दशा का स्वयं संज्ञान करके बातें कही हैं, किसी की मुँह देखी नहीं कही।
(ङ) उन्होंने वर्णाश्रम तथा पट्दर्शन की मर्यादा को उपेक्षित करते हुए सत्य अनुभव की बातें कही हैं।
Q.2. ‘मुख देखी नहीं भनी’ का क्या अर्थ है? कबीर पर यह कैसे लागू होता है ?
उत्तर – मुख देखी नहीं भनी का यहाँ अर्थ है कि कबीर ने किसी की मुँहदेखी बात नहीं कही है। यह कबीर पर शतशः लागू होता है, क्योंकि उन्होंने समाज का स्वयं की दृष्टि से पक्षपातरहित होकर निरीक्षण किया है। अपने अनुभवों के सत्य को ही उन्होंने किसी अन्य ज्ञान के स्रोत की अपेक्षा ज्यादा विश्वसनीय मानते हुए अपनी बातें कही हैं।
Q.3. सूर के काव्य की किन विशेषताओं का उल्लेख कवि ने किया है ?
उत्तर – सूर के काव्य की विशेषताएँ बताते हुए नाभादास ने कहा है कि–
(क) उनके काव्य में उक्ति का चमत्कार तथा वर्ण अनुप्रास की स्थिति अधिक है।
(ख) उनके काव्य के वचनों के अर्थ प्रेम का निर्वाह करते हैं। अद्भुत तुकबंदी का सौंदर्य उनके काव्य में मौजूद है।
(ग) उनके काव्य में एक दिव्य दृष्टि प्रतिबिंबित होती है तथा उनके हृदय में हरि (विष्णु या कृष्ण) की विविध लीलाओं का प्रत्यक्षीकरण हुआ है।
(घ) कृष्ण का जन्म, कर्म, गुण तया रूप सबकुछ उनकी जिह्वा से प्रकट हुआ है।
(ङ) जो भी व्यक्ति उनके काव्य के इन गुणों का अवगाहन करेगा, उसकी बुद्धि निर्मल होगी। उनके काव्य की संगीतात्मकता के प्रभाववश कोई भी सहृदय व्यक्ति अपने सिरचालन को रोक नहीं सकता। अर्थात् उनके काव्य का श्रवण करके कवि हृदय या सहृदय जन भावविह्वल हो उठते हैं तथा उनके शरीर नृत्यवत हो उठते हैं।
Q.4. अर्थ स्पष्ट करें
(क) सूर कवित्त सुनि कौन कवि, जो नहिं शिरचालन करें।
उत्तर – सूर के काव्य की संगीतात्मकता के प्रभाववश कोई भी सहृदय व्यक्ति अपने सिरचालन को रोक नहीं सकता। अर्थात् उनके काव्य का श्रवण करके कवि हृदय या सहृदय जन भावविह्वल हो उठते हैं तथा उनके शरीर नृत्यवत हो उठते हैं।
(ख) भगति विमुख जे धर्म सो सब अधर्म करि गाए।
उत्तर – कबीर ने उन सभी धर्म-पद्धतियों तथा विचारों को अधर्म की श्रेणी में रखकर गाया है या वर्णित किया है जो भक्ति की भावना से हीन होते हैं।
Q.5. ‘पक्षपात नहीं वचन सबहि के हित की भाषी।’ इस पंक्ति में कबीर के किस गुण का परिचय दिया गया है ?
उत्तर – कबीर पक्षपात रहित थे। वे अनुभव के सत्य पर विश्वास करते थे तथा निर्भीक होकर सबके हित की ही बात करते थे। यह कबीर में मौजूद आत्मविश्वास, निरपेक्षता तथा सदाशयता के गुण का परिचय देता है।
Q.6. कविता में तुक का क्या महत्व है? इन छप्पयों के संदर्भ में स्पष्ट करें।
उत्तर – प्राचीन काव्य मर्मज्ञों ने कविता के अभिलक्षण में तुक को भी विशेष स्थान दिले था। तुक के निर्वाह से कविता में लयात्मकता आती है, जो उसे गेय बनाती है। साथ ही कविता अपनी तुकबंदी के कारण सहजता से कंठाग्र हो जाती है। प्रस्तुत छप्पयों में भी पदांत में तुक का निर्वाह किया गया है। छंदोबद्ध रचना के लिहाज से तथा विषय प्रस्तुति में एक लयात्मक नाई सौंदर्य पैदा करने के लिहाज से दिये गये छप्पय अत्यंत श्रेष्ठ हैं।
Q.7. ‘कबीर कानि राखी नहीं’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – ‘कबीर कानि राखी नहीं’ से तात्पर्य है कि कबीर ने ज्ञान के विभिन्न प्रदत्त स्रोतों की जगह अपने अनुभव के सत्य पर विश्वास किया और उसे ही अपनी रचनाओं में प्रस्तुत किया। वर्णाश्रम व्यवस्था तथा षट्दर्शन जो अंततः हिन्दूवादी वर्चस्ववाद के ही परंपरित सिद्धांत रहे हैं, का कबीर ने विरोध किया। उनकी तथाकथित मर्यादा का उन्होंने मूक अनुकरण नहीं किया।
Q.8. कबीर ने भक्ति को कितना महत्व दिया ?
उत्तर – कबीर भक्ति को ही जीवन का मूल मानते हैं। वे उन सभी धार्मिक विचारों तथा पद्धतियों को अधर्म की श्रेणी में रखकर वर्णित करते हैं जो भक्ति की भावना से विमुख हैं। यहाँ तक कि योग, व्रत तथा दान की संकल्पनाओं को भी वे भक्ति के बिना तुच्छ मानते हैं। कबीर की यह भक्ति किसी आचार संहिता की प्रस्तावना नहीं करती, बल्कि अनुभूति के स्तर पर अह के विसर्जन को ही भक्ति की पहचान के रूप में चिह्नित करती है।
छप्पय Objective Question Bihar Board
1. नाभादास का जन्म अनुमानतः कब हुआ था ?
(क) 1567
(ख) 1568
(ग) 1569
(घ) 1570
उत्तर -1570
2. नाभादास के दीक्षा गुरु कौन थे?
(क) स्वामी अग्रदास
(ख) नरहरि दास
(ग) महाप्रभु वल्लभाचार्य
(घ) सूरदास
उत्तर – स्वामी अग्रदास
3.इनमें से कौन नाभादास द्वारा रचित है?
(क) भक्तमाल
(ख) पद्मावत
(ग) विनयपत्रिका
(घ) अष्टछाप
उत्तर – भक्तमाल
4. भक्तमाल’ में कौन-सा छंद प्रयुक्त हुआ है ?
(क) कड़बक
(ख) कवित्त
(ग) छाप्पय्
(घ) सवैया
उत्तर – छाप्पय्