पद |
पद कवि के बारे में
सूर वात्सल्य के अद्वितीय कवि हैं। बालक कृष्ण की गतिविधियों की मनोवैज्ञानिक समझ और उनकी बालसुलभ क्रीड़ाओं का अत्यंत सूक्ष्म चित्रण सूर के पदों में मिलता है। सूर की काव्य भाषा ब्रज है। ब्रज भाषा की कोमलकांत पदावली का उन्होंने कुशल अनुप्रयोग किया है। जिस प्रकार बालक कृष्ण की बाल चंचलताओं के वर्णन के लिए उसी प्रकार के चंचल, ध्वन्यात्मक तथा कोमल शब्दों की आवश्यकता होती है, सूर ने उनका बेहद सधा हुआ इस्तेमाल किया है।
पद पाठ का सारांश
पहले पद में सूर बालक कृष्ण को प्रातःकाल हो जाने पर जागने के लिए अनुग्रह करते हैं। जिस प्रकार एक माँ अपनी संतान को गहन आत्मीयता और मधुर संबोधनों से जगाती है, उसी तरह सूर भी इन पदों में वैसा ही मनोरम अनुग्रह करते हैं। वे बालक को जगाने के लिए उसे प्रसन्नता देने वाली तमाम गतिविधियों का दृष्टांत देते हैं। बालक के अंदर एक सहज कुतूहल पैदा कर जागने की ऐसी वात्सल्यमयी तरकीब माँ ही कर सकती है, जो सूरदास के यहाँ भी पूर्णतः चरितार्थ हुआ है। इसी तरह दूसरे पद में नन्हें कृष्ण जो नंद बाबा की गोद में बैठ कर भोजन कर रहे हैं, उनका अत्यंत मनोहारी चित्रण हुआ है। वे अपने नन्हें हाथों से कुछ भोजन मुँह में डालते हैं तो कुछ स्वभावतः नीचे गिर जाता है। कुछ अपने खाते हैं तो उन्हीं नन्हें हाथों से कुछ नंद को भी खिलाने की चेष्टा करते हैं। इस सुकुमार दृश्य की शोभा वर्णन से परे है। सूर के उक्त वात्सल्य चित्रण को देखकर लगता है कि वे अपनी आंतरिक दृष्टि से मातृ और पुत्र के हृदय का कोना-कोना झाँक आये हैं। वात्सल्य के इस सहज मानवीय चित्रण के माध्यम से वे भक्ति, भक्त और ईश्वर को सहज अनुभवगम्य और प्रेमासिक्त सिद्ध करते हैं।
पद Subjective Questions Bihar Board
Q.1. प्रथम पद में किस रस की व्यंजना हुई है ?
उत्तर – प्रथम पद में वात्सल्य रस की व्यंजना हुई है।
Q.2. गायें किस ओर दौड़ पड़ी हैं ?
उत्तर – गायें अपने-अपने बछड़ों की ओर दौड़ पड़ी हैं।
Q.3. प्रथम पद का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें । या, सूरदास के प्रथम पद का भावार्थ लिखें ।
उत्तर – प्रथम पद में दुलार भरे कोमल-मधुर स्वर में सोए हुए बालक कृष्ण को भोर होने की सूचना देते हुए जगाया जा रहा है। कवि कहता है कि हे ब्रजराज के कुंवर जगिए। (और देखिए) कमल के फूल खिल चुके हैं। कुमुद के समूह संकुचित हो गये हैं और भौरे लताओं में भूल चुके हैं। मुर्गा बाँग दे रहा है और पेड़-पौधों पर पक्षिगण का कलरव सुनाई दे रहा है। गायें बाड़ों में रंभा रही हैं और अपने-अपने बछड़ों को दूध पिलाने के लिए उनकी तरफ दौड़ पड़ी हैं । चन्द्रमा का प्रकाश मलिन पड़ गया है और सूर्य का प्रकाश फैल चुका है। नर-नारी प्रसन्नता और उत्साह में गा रहे हैं । अर्थात् रात्रि बीत जाने के बाद संपूर्ण चराचर जगत में गति और उत्साह का संचार हो गया है। इसलिए हे कमलवत हाथों वाले हाथ में कमल धारण करने वाले श्याम, जागिए ।
Q.4. पठित पदों के आधार पर सूर के वात्सल्य वर्णन की विशेषताएं लिखिए ।
उत्तर – सूर वात्सल्य के अद्वितीय कवि हैं। बालक कृष्ण की गतिविधियों की मनोवैज्ञानिक समझ और उनकी बालसुलभ क्रीड़ाओं का अत्यंत सूक्ष्म चित्रण सूर के इन पदों में मिलता है। पहले पद में सूर बालक कृष्ण को प्रातःकाल हो जाने पर जागने के लिए अनुग्रह करते हैं। जिस प्रकार एक माँ अपनी संतान को गहन आत्मीयता और मधुर संबोधनों से जगाती है, उसी तरह सूर भी इन पदों में वैसा ही मनोरम अनुग्रह करते हैं। वे बालक को जगाने के लिए उसे प्रसन्नता देने वाली तमाम गतिविधियों का दृष्टांत देते हैं। बालक के अंदर एक सहज कुतूहल पैदा कर जगाने की ऐसी वात्सल्यमयी तरकीव माँ ही कर सकती है, जो सूरदास के यहाँ भी पूर्णतः चरितार्थ हुआ है। इसी तरह, दूसरे पद में नन्हें कृष्ण जो नंद बाबा की गोद में बैठ कर भोजन कर रहे हैं, का अत्यंत मनोहारी चित्रण हुआ है। वे अपने नन्हें हाथों से कुछ भोजन मुँह में डालते हैं तो कुछ स्वभावतः नीचे गिर जाता है। कुछ अपने खाते हैं तो उन्हीं नन्हें हाथों से कुछ नंद को भी खिलाने की चेष्टा करते हैं। इस सुकुमार दृश्य की शोभा वर्णन से परे है। सूर के उक्त वात्सल्य चित्रण को देखकर लगता है कि वे अपनी आंतरिक दृष्टि से माता और पुत्र के हृदय का कोना-कोना झाँक आये हैं।
Q.5. काव्य सौंदर्य स्पष्ट करें–
(क) कछुक खात कछु घरनि गिरावत छवि निरखति नंद-रनियाँ।
उत्तर – प्रस्तुत पदांश में सूरदास नन्हें कृष्ण द्वारा नंद की गोद में बैठकर भोजन करने के दृश्य का वात्सल्यपूरित चित्रण करते हैं। अपने नन्हें हाथों से बालक कृष्ण कुछ भोजन उठाकर मुँह में रखते हैं तो कुछ भोजन स्वभावतः नीचे गिर जाता है। इस बालसुलभ सुंदर क्रियाकलाप बालचेष्टा उन्हें अत्यंत प्रफुल्लित कर देती है।
(ख) भोजन करि नंद अचमन लीन्हें मांगत सूर जुठनियाँ।
उत्तर – यहाँ सूरदास का वात्सल्य चित्रण अपनी भक्ति की पराकाष्ठा पर पहुँच जाता है। वे बालक कृष्ण द्वारा नंद की गोद में बैठकर भोजन करने के आत्मीय दृश्य को वर्णित करते हुए विह्वल हो उठते हैं। मानो अपने देशकाल की सीमा को लाँधकर वे स्वयं नंद के आंगन में इस दृश्य को साक्षात देख रहे हों और बरबस यह कामना कर पड़ते हैं कि ऐसे वात्सल्य के भागी नंद बाबा जो खाने के उपरांत आचमन कर रहे हैं, उनसे अनुरोध है कि वे जूठन को मुझे प्रदान कर दें। अर्थात् सूरदास भी वात्सल्य के उस पूरे परिदृश्य में खुद को शामिल करते हुए भक्ति की अन्यतम दशा में पहुँच जाते हैं।
(ग) आपुन खात, नंद मुख नावत सो छबि कहन न बनियाँ|
उत्तर – कृष्ण जब भोजन करते समय अपने नन्हें हाथों से नंद के मुख में निवाला डालते हैं तो कवि को यह विलक्षण दृश्य वर्णन की सीमा से परे जान पड़ता है। अर्थात् बालक कृष्ण के अंदर बालकपन के साथ नंद के प्रति जो एक स्वाभाविक प्रेम है, वह इस प्रक्रिया में एक साथ दिखाई पड़ता है। पिता और पुत्र के असीम, अगाध और गहन प्रेम के इस अनुपम दृश्य की शोभा वाकई शब्दों की सीमा में अटाई नहीं जा सकती।
Q.6. कृष्ण खाते समय क्या-क्या करते हैं?
उत्तर – कृष्ण नंद की गोद में बैठकर खाते समय कुछ भोजन तो खाते हैं और कुछ स्वभावतः जमीन पर गिराते रहते हैं। बेसन की बड़ी तथा कई प्रकार के व्यंजन आदि हाथ में लेते हैं, खाते हैं, दही की दोनी में डालते हैं। मिस्री, दही, मक्खन सबकुछ एक में मिलाकर मुँह में डालते हैं। स्वयं भी खाते हैं और नंद बाबा के मुँह में भी निवाला डालते रहते हैं।
Q.7. सूरदास के प्रथम पद का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर – पहले पद में सूर बालक कृष्ण को प्रातःकाल हो जाने पर जागने के लिए अनुग्रह करते हैं। जिस प्रकार एक माँ अपनी संतान को गहन आत्मीयता और मधुर संबोधनों से जगाती है, उसी तरह सूर भी इन पदों में वैसा ही मनोरम अनुग्रह करते हैं। वे बालक को जगाने के लिए उसे प्रसन्नता देने वाली तमाम गतिविधियों का दृष्टांत देते हैं। बालक के अंदर एक सहज कुतूहल पैदा कर जागने की ऐसी वात्सल्यमयी तरकीब माँ ही कर सकती है, जो सूरदास के यहाँ भी पूर्णतः चरितार्थ हुआ है।
पद Objective Questions Bihar Board
1. सूरदास का जन्म अनुमानतः कब हुआ?
(क) 1475
(ख) 1476
(ख) 1477
(घ) 1478
उतर – 1478
2. सूरदास का निधन कब हुआ?
(क) 1583
(ख) 1584
(ग) 1585
(घ) 1586
उतर – 1583
3. सूरदास का जन्म कहाँ हुआ था?
(क) सीही, दिल्ली
(ख) सीही, मेरठ
(ग) सीही, अजमेर
(घ) सीही, अमृतसर
उतर – सीही, दिल्ली
5. सूरदास के दीक्षागुरु कौन थे?
(क) नाभादास
(ख) महाप्रभु वल्लभाचार्य
(ग) नरहरि दास
(घ) स्वामी अग्रदास
उतर- महाप्रभु वल्लभाचार्य
6. सूरदास की सबसे लोकप्रिय रचना क्या है?
(क) सुरसरवल्ली
(ख) साहित्य लहरी
(ग) राधारसकेली
(घ) सूरसागर
उतर – सूरसागर
7. सूरदास किस भाषा के कवि हैं?
(क) अवधी –
(ख) भोजपुरी
(ग) ब्रजभाषा
(घ) मैथिली
उतर – ब्रजभाषा
8. सूरदास के काव्य का प्रधान विषय कौन है?
(क) विनय भक्ति
(ख) वात्सल्य
(ग) प्रेम-शृंगार
(घ) तीनों
उतर – वात्सल्य
9. सूरदास के पदों में किस भाव की प्रधानता है?
(क) वात्सल्य
(ख) प्रेम
(ग) भक्ति
(घ) अध्यात्म
उतर – वात्सल्य