Download Pdf|पुत्र वियोग 12th Hindi Chapter 7|लेखक के बारे में|पाठ का सारांश|VVI Subjectives Questions|VVI Objectives Questions

पुत्र वियोग कवयित्री के बारे में

सुभद्रा कुमारी चौहान छायावादी काव्य चेतना के समय में भी रहते हुए अपनी एक स्वतंत्र काव्य-चेतना विकसित करती हैं। वे यथार्थोन्मुख चेतना की कवयित्री हैं जहाँ कविता अपने प्रतिपाद्य को किसी लाक्षणिकता या किसी ‘छाया’ के आवरण की अपेक्षा बेलौस भाषा में प्रकट करती हैं।

 

पुत्र वियोग पाठ का सारांश

प्रस्तुत कविता निराला की अपनी युवा पुत्री की असमय मृत्यु हो जाने पर लिखी गई शोक- कविता सरोज स्मृति के बाद इस परंपरा की दूसरी सबसे बड़ी कविता है। कविता में कवयित्री माँ अपने पुत्र के असामयिक निधन से बेहद दुखी है। पुत्रहीन हो जाने पर दिशाएँ भी उसे सूनी-सूनी लगती हैं। संपूर्ण संसार मानों खुशियाँ मना रहा है लेकिन उस माँ के पास अभी तक उसका खोया हुआ (मृत) पुत्र नहीं लौटा है, जो उस माँ लिए प्यारा सा खिलौना है और उसके जीवन में खुशियों का संचार करने वाला है। पुत्र के लिए माँ अपने को कष्ट देकर भी उसका सदैव ख्याल रखती है। कभी उसे ठंड से बचाने के लिए गोद से ही नहीं उतारती है तो कभी सारे काम छोड़कर बच्चे की एक पुकार पर दौड़ी चली आती है। कभी उसे सुलाने के लिए वह दुलार भरी लोरियाँ गाया करती है तो कभी उसे अस्वस्थ देखकर रातें जागकर ही बिता देती है। वह स्वाभिमान को त्यागकर पत्थरों को देवता बनाकर अपने शिशु की खैरियत के लिए उन्हें चढ़ावे चढ़ाती है, शीश झुकाती है, प्रार्थनाएँ करती है। माँ चूंकि अपने गर्भ में शिशु को नौ माह रखती है, उसकी धड़कनों से हर पल जुड़ी रहती है, उसके रोम-रोम की हलचल से वाकिफ रहती है, गर्भ से बाहर अपने पर स्वयं को भूल कर वह अपने पुत्र की हरसंभव हिफाजत करती है, इसलिए वह उसके शरीर का ही नहीं बल्कि उसकी आत्मा का अंश बन जाता है। वही पुत्र यदि उसके सामने ही काल-कवलित हो जाय तो माँ के लिए यह असह्य स्थिति होती है। पिता या भाई-बहन पुत्र के माँ के गर्भ से बाहर निकलने के बाद आत्मिक रूप से जुड़ते हैं, जबकि माँ गर्भ से लेकर बाहर की दुनिया तक उसकी हर धड़कन से जुड़ी होती है, अतः अन्य की अपेक्षा उसके लिए पुत्र की मृत्यु को स्वीकार कर लेने तथा मन में एक दृढ़ता पैदा कर पाने की स्थिति असंभव सी हो जाती है। अतः यह सिर्फ कवयित्री माँ की पीड़ा नहीं बल्कि माँ मात्र की पीड़ा बन जाती है। यह कविता पुत्र और माँ के रिश्ते को अन्य पारिवारिक रिश्तों की अपेक्षा एक विलक्षणता प्रदान करती है।

 

पुत्र वियोग Subjective Question

Q. 1. कवयित्री का ‘खिलौना’ क्या है ?

उत्तर – कवयित्री का खिलौना उसका शिशु है|

 

Q. 2. कवयित्री स्वयं को असहाय और विवश क्यों कहती है ?

उत्तर – कवित्री स्वयं को असहाय और विवश कहती है क्योंकि वह अपने पुत्र की रक्षा के लिए तमाम देवी-देवताओं के आगे शीश झुकाती है, चढ़ावे चढ़ाती है, अपने को कष्ट देकर बेटे के लालन-पालन में सदैव तत्पर रहती है, तथापि उसके पुत्र की मृत्यु हो जाती है। वह अनंत प्रयत्नों के बावजूद उसे बचा नहीं पाई। सब कुछ बस उसकी आँखों के आगे होता रहा और वह विवश सी देखती रही।

 

Q. 3. पुत्र के लिए माँ क्या क्या करती है?

उत्तर – पुत्र के लिए माँ अपने को कष्ट देकर भी उसका सदैव खयाल रखती है। कभी उसे ठंड से बचाने के लिए गोद से ही नहीं उतारती है, तो कभी सारे काम छोड़कर बच्चे की एक पुकार पर दौड़ी चली आती है। कभी उसे सुलाने के लिए वह दुलार भरी लोरियों गाया करती है, तो कभी उसे अस्वस्थ देखकर रातें जागकर ही बिता देती है। वह स्वाभिमान को त्यागकर पत्थरों को देवता बनाकर अपने शिशु की खैरियत के लिए उन्हें चढ़ावे चढ़ाती है, शीश झुकाती है, प्रार्थनाएँ करती है।

 

Q. 4. अर्थ स्पष्ट करें–

आज दिशाएँ भी हँसती हैं है उल्लास विश्व पर छाया,

मेरा खोया हुआ खिलौना, अब तक मेरे पास न आया।

उत्तर – यहाँ कवयित्री अपने शिशु की मृत्यु हो जाने पर गहरा शोक प्रकट करती है। पुत्रहीन हो जाने पर दिशाएँ भी उसे सूनी सूनी लगती हैं। संपूर्ण संसार मानों खुशियों मना रहा है, लेकिन उस माँ के पास अभी तक उसका खोया हुआ (मृत) पुत्र नहीं लौटा है जो उसके लिए प्यारा सा खिलौना है और उसके जीवन में खुशियों का संचार करने वाला है। यहाँ कवयित्री माँ अत्यंत भावुक और करुणार्द्र स्वरों में अपने दिवंगत पुत्र को स्मरण करती है।

 

Q. 5. माँ के लिए अपने मन को समझाना कब कठिन है, और क्यों ?

उत्तर – जब माँ लाख यत्न के बावजूद अपना बेटा खो देती है, तब उसके द्वारा अपने मन को समझाना कठिन होता है। जिस पुत्र को वह अपने गर्भ में नौ माह तक रखती है, उसकी एक-एक धड़कन को महसूस करती है, जो उसे जीवन देती है, उसे अपने कष्टों को भुलाकर सहेज-सहेज कर पालती है, उसकी खुशी में खुश और उसके दुख से दुखी हो जाती है, वही पुत्र लाख प्रयासों के बावजूद यदि उसके सामने ही मृत्यु की ओर बढ़ता चला जाय और माँ कुछ भी न कर सके तो वाकई माँ के लिए अपने मन को समझाना पहाड़ सरीखा हो जाता है।

Q. 6 पुत्र को ‘छीना’ कहने में क्या भाव छुपा है, इसे उद्घाटित करें।

उत्तर – छौना मुख्यतः हिरण या सिंह की नन्हीं संतानों को कहा जाता है। कवयित्री अपने शिशु की मृत्यु हो जाने और अपनी किंकर्तव्यविमूढ़ता के चलते अत्यंत दुःखी है। वह उस शिशु को एक छौने की तरह संरक्षित और सुरक्षित रखती है। जिस प्रकार सिंह या हिरण अपनी शिशु संतान को चारों पहर सुरक्षित रखते हैं, उन्हें किसी प्रकार का कष्ट न हो या उन पर कोई आपत्ति न आन पड़े, इसके लिए जाग जाग कर उनकी देखभाल करते रहते हैं, उसी प्रकार कवयित्री भी अपने पुत्र की बरावर हिफाजत करती है। तथापि पुत्र की मृत्यु हो जाती है। इसलिए पुत्र के लिए यहाँ प्रयुक्त छौना शब्द एक साथ शिशु की मासूमियत और माता द्वारा उसको दिये जा रहे अनुरागमय संरक्षण के भाव को व्यंजित करता है।

 

Q.7. मर्म उद्घाटित करें–

भाई बहिन भूल सकते हैं.   पिता भले ही तुम्हें भुलावें

किंतु रात-दिन की साथिन मां  कैसे अपना मन समझावे ।

उत्तर – इन पंक्तियों का मर्म ये है कि माँ चूँकि अपने गर्भ में अपने शिशु को नौ माह रखती। है, उसकी धड़कनों से हर पल जुड़ी रहती है, उसके रोम-रोम की हलचल से वाकिफ रहती है, गर्भ से बाहर आने पर स्वयं को भूल कर वह अपने पुत्र की हरसंभव हिफाजत करती है, वह उसके शरीर का ही नहीं उसकी आत्मा का अंश बन जाता है। वहीं पुत्र यदि उसके सामने ही काल-कवलित हो जाय तो माँ के लिए यह असह्य स्थिति होती है। पिता या माई-बहन पुत्र के मौ के गर्भ से बाहर निकलने के बाद आत्मिक रूप से जुड़ते हैं, जबकि माँ गर्भ से लेकर बाहर की दुनिया तक उसकी हर धड़कन से जुड़ी होती है, अतः अन्य की अपेक्षा उसके लिए पुत्र की मृत्यु को स्वीकार कर लेने तथा मन में एक दृढ़ता पैदा कर पाने की स्थिति असंभव सी हो जाती है।

 

Q.8. कविता का भावार्थ संक्षेप में लिखिए। या, ‘पुत्र वियोग’ कविता का भावार्य लिखें।

उत्तर – यह कविता निराला की अपनी युवा पुत्री की असमय मृत्यु हो जाने पर लिखी गई शोक कविता सरोज स्मृति के बाद इस परंपरा की दूसरी सबसे बड़ी कविता है। कविता में कवयित्री माँ अपने पुत्र के असामयिक निधन से बेहद दुखी है। पुत्रहीन हो जाने पर दिशाएँ भी उसे सूनी-सूनी लगती हैं। संपूर्ण संसार मानों खुशियाँ मना रहा है, लेकिन उस माँ के पास अभी तक उसका खोया हुआ (मृत) नहीं लौटा है, जो उसके लिए प्यारा सा खिलौना है और उसके जीवन में खुशियों का संचार करने वाला है। पुत्र के लिए एक माँ अपने को कष्ट देकर भी उसका सदैव खयाल रखती है। कभी उसे ठंड से बचाने के लिए गोद से ही नहीं उतारती है, तो कभी सारे काम छोड़कर बच्चे की एक पुकार पर दौड़ी चली आती है। कभी उसे सुलाने के लिए वह दुलार भरी लोरियाँ गाया करती है, तो कभी उसे अस्वस्थ देखकर रातें जागकर ही बिता देती है। वह स्वाभिमान को त्यागकर पत्थरों को देवता बनाकर अपने शिशु की खैरियत के लिए उन्हें चढ़ावे चढ़ाती है, शीश झुकाती है, प्रार्थनाएँ करती है। माँ चूकि अपने गर्भ में अपने शिशु को नौ माह रखती है, उसकी धड़कनों से हर पल जुड़ी रहती है, उसके रोम-रोम की हलचल से वाकिफ रहती है, गर्भ से बाहर आने पर स्वयं को भूल कर वह अपने पुत्र की हरसंभव हिफाजत करती है, वह (पुत्र) उसके शरीर का ही नहीं उसकी आत्मा का अंश बन जाता है। वही पुत्र यदि उसके सामने ही काल कवलित हो जाय तो माँ के लिए यह असह्य स्थिति होती है। पिता या माई-बहन पुत्र के माँ के गर्भ से बाहर निकलने के बाद आत्मिक रूप से जुड़ते हैं, जबकि माँ गर्भ से लेकर बाहर की दुनिया तक उसकी हर धड़कन से जुड़ी होती है, अतः अन्य की अपेक्षा उसके लिए पुत्र की मृत्यु को स्वीकार कर लेने तथा मन में एक दृढ़ता पैदा कर पाने की स्थिति असंभव सी हो जाती है। अतः यह सिर्फ कवयित्री माँ की पीड़ा नहीं बल्कि माँ मात्र की पीड़ा बन जाती है। यह कविता पुत्र और माँ के रिश्ते को अन्य पारिवारिक रिश्तों की अपेक्षा एक विलक्षणता प्रदान करती है।

Q.9. इस कविता को पढ़ने पर आपके मन पर क्या प्रभाव पड़ा, उसे लिखिए।

उत्तर – यह कविता सिर्फ कवयित्री माँ की पीड़ा नहीं बल्चि करती है तथा पुत्र और माँ के रिश्ते को अन्य पारिवारिक रिश्तों की अपेक्षा एक विलक्षणता मात्र की पीड़ा को व्यजित प्रदान करती है। कविता को पढ़ने से मन में जो एक करुणा का भाव जागता है, वह कवयित्री के व्यक्तिगत संदर्भों से मुक्त होता हुआ हमें भी उसमें आत्मसात करने लगता है और संभवतः यही वह क्षण होता है जब हमें अपनी माँ दुनिया की सबसे स्नेहिल और प्यारी माँ लगने लगती है।

 

Q.10. ‘पुत्र वियोग’ कविता का सारांश लिखिए।

उत्तर – प्रस्तुत कविता सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा अपने पुत्र के असामयिक निधन पर आहत होकर लिखी गयी है। महाप्राण निराला द्वारा अपनी युवा पुत्री की असमय मृत्यु हो जाने पर लिखी गई शोक-कविता सरोज स्मृति के बाद इस परंपरा की यह दूसरी सबसे बड़ी कविता है। पुत्रहीन हो जाने पर दिशाएँ भी माँ को सूनी सूनी लगती हैं। संपूर्ण संसार मानों खुशिया मना रहा है लेकिन उस माँ के पास अभी तक उसका खोया हुआ (मृत) पुत्र नहीं लौटा है, जो उस माँ लिए प्यारा सा खिलौना है और उसके जीवन में खुशियों का संचार करने वाला है। पुत्र के लिए एक माँ अपने को कष्ट देकर भी उसका सदैव ख्याल रखती है। कभी उसे ठंड से बचाने के लिए गाद से ही नहीं उतारती है तो कभी सारे काम छोड़कर बच्चे की एक पुकार पर दौड़ी चली आती है। कभी उसे सुलाने के लिए वह दुलार भरी लोरियाँ गाया करती है तो कभी उसे अस्वस्थ देखकर रातें जागकर ही बिता देती है। वह स्वाभिमान को त्यागकर पत्थरों को देवता बनाकर अपने शिशु की खैरियत के लिए उन्हें चढ़ावे चढ़ाती है, शीश झुकाती है, प्रार्थनाएँ करती है। माँ चूँकि अपने गर्भ में शिशु को नौ माह रखती है, उसकी धड़कनों से हर पल जुड़ी रहती है, उसके रोम-रोम की हलचल से वाकिफ रहती है, गर्भ से बाहर आने पर स्वयं को भूल कर वह अपने पुत्र की हरसंभव हिफाजत करती है, इसलिए वह उसके शरीर का ही नहीं बल्कि उसकी आत्मा का अंश बन जाता है। वही पुत्र यदि उसके सामने ही काल-कवलित हो जाय तो माँ के लिए यह असह्य स्थिति होती है। यह कविता सिर्फ कवयित्री माँ की पीड़ा नहीं बल्कि माँ मात्र की पीड़ा बन जाती है। यह कविता पुत्र और माँ के रिश्ते को अन्य पारिवारिक रिश्तों की अपेक्षा एक विलक्षणता प्रदान करती है।

 

पुत्र वियोग Objective Question

1. सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म कब हुआ था?

(क) 16 अगस्त, 1904

(ख) 16 अगस्त, 1908

(ग) 16 अगस्त, 1904

(घ) 16 अगस्त, 1907

उतर -16 अगस्त, 1904

 

2. सुभद्रा कुमारी चौहान का निधन कब हुआ था?

(क) 15 फरवरी, 1947

(ख) 15 फरवरी, 1948

(ग) 15 फरवरी, 1949

(घ) 15 फरवरी, 1950

उतर -15 फरवरी, 1948

 

3. सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म कहाँ हुआ था?

(क) इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश

(ख) काशी, उत्तर प्रदेश

(ग) गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

(घ) झांसी, उत्तर प्रदेश

उतर -इलाहाबाद, उत प्रदेश

 

4. सुभ्द्रा कुमारी चौहान को अपनी किस रचना पर पुरस्कार मिला था ?

(क) मुकुल

(ख) त्रिधारा

(ग) विखरे मोती

(घ) सभा के खेल

उतर -विखरे मोती

 

5. सुभद्रा कुमारी चौहान को कौन पुरस्कार मिला था?

(क) सेकसरिया पुरस्कार

(ख) मंगलाप्रसाद पारितोषिक

(ग) ज्ञानपीठ पुरस्कार

(घ) साहित्य अकादमी पुरस्कार

उतर -सेकसरिया पुरस्कार

 

6. सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता की केंद्रीय प्रेरणा क्या है?

(क) राष्ट्रीयता

(ख) प्रेम

(ग) अध्यात्म

(घ) भक्ति

उतर -राष्ट्रीयता

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